Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 20 May, 2025
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 22 May, 2025
कालसर्प दोष होने पर शिवजी की पूजा नियमित से करनी चाहिए। - किसी पवित्र नदी में चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा प्रवाहित करें। - हर शनिवार पीपल को जल चढ़ाये या पीपल की परिक्रमा | समय समय पर गरीबों को कम्बल का दान करे | ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य से लेकर शनि तक सभी ग्रह जब राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं तो कालसर्प योग बन जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में यह योग होता है उसके जीवन में काफी उतार चढ़ाव आते रहते हैं। ज्योतिष के आधार पर काल सर्प दो शब्दों से मिलकर बना है - "काल और सर्प ”। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार काल का अर्थ समय होता है और सर्प का अर्थ सांप इसे एक करके देखने पर जो अर्थ निकलकर सामने आता है वह है समय रूपी सांप। इस योग को ज्योतिषशास्त्र में अशुभ माना गया है। कालसर्प एक अशुभ दोष है जो राहु-केतु की विशेष स्थिति से बनता है। राहु केतु का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। राहु- केतु दोनों छाया गृह के नाम से जाने जाते है। यह दोनों छाया गृह किसी रूप में प्रमुख सात ग्रहों से कम नहीं हैं।
काल सर्प दोष होता है या नहीं, इसी पर सभी ज्योतिषियों की मान्यता भिन्न है। कुछ कहते हैं नहीं होता क्योंकिं पाराशर आदि ऋषियों ने इसकी चर्चा नहीं की, कुछ कहते हैं होता है और तमिल ग्रंथो में इसका जिक्र है। होता है या नहीं, कोई ठीक से नहीं कह सकता, परंतु कालसर्प योग पर सिर्फ सुनने को मिलता है, इसकी असली प्राचीन कोई पांडुलिपि प्राप्त नहीं है। होना चाहिए या नहीं, ये प्रश्न है। राहु और केतु दो छोर है, और सभी ग्रहों का इनके बीच में आ जाना एक योग अवश्य बनाता है, जहाँ सारे गृह या तो राहु की तरफ या केतु की तरफ अग्रसर होते है। जैसा ज्योतिष ग्रंथो में कहा गया है, राहु केतु ग्रहण कारक है, और सभी ग्रहों को ग्रहण करने की शक्ति रखते है। ऐसे में सभी ग्रहों का उनकी तरफ अग्रसर होना एक योग बनता है। ख़ैर जो भी हो, आज काल सर्प योग एक पहेली है, जिससे कुछ लोग मानते है और कुछ नहीं। इसके बारे में कोई ठोस रिसर्च नहीं की गयी ( जिन विशिष्ट ज्योतिषियों ने ये रिसर्च की है मैं उनसे सहमत नहीं हूँ) । ऐसे में ये मान कर चलना की ये दोष है गलत होगा, और जब दोष ही नहीं है तो उसका निवारण क्या ही होगा।
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 21 April, 2025
कर्कोटेश्वर को भगवान शिव के एक रूप के रूप में पूजा जाता है, जो नागराज से संबंधित हैं। माना जाता है कि वे नागराज की पूजा करते हैं और नागदोष को दूर करते हैं। कालसर्प, सर्प दोष और नागदोष क्या है? कालसर्प दोष: यह एक ज्योतिषीय दोष है जो तब बनता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। सर्प दोष: यह एक ऐसा दोष है जो व्यक्ति की कुंडली में नाग या सर्प से संबंधित किसी ग्रह के प्रभाव से बनता है। नागदोष: यह भी सर्प दोष से ही संबंधित है और इसे नागदेवता के क्रोध से भी जोड़कर देखा जाता है। कर्कोटेश्वर दर्शन से क्या लाभ होते हैं? दोषों से मुक्ति: मान्यता है कि कर्कोटेश्वर की पूजा करने से कालसर्प, सर्प दोष और नागदोष से मुक्ति मिलती है। अतिफल: कुछ लोग मानते हैं कि कर्कोटेश्वर दर्शन करने से शुभ फल मिलता है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। कर्कोटेश्वर दर्शन कैसे करें? मंदिर में जाकर: कर्कोटेश्वर का दर्शन करने के लिए मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिए। मंत्र जाप: कर्कोटेश्वर के मंत्र का जाप करने से भी लाभ मिलता है। अन्य उपाय: कुछ लोग नागदेवता की पूजा, नाग देवता के मंत्र का जाप और दान-पुण्य भी करते हैं।
कर्कोटेश्वर दर्शन करने से कालसर्प, सर्प दोष और नागदोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है। यदि आप इन दोषों से परेशान हैं तो आप कर्कोटेश्वर की पूजा कर सकते हैं और उन्हें दूर करने के लिए अन्य उपाय भी कर सकते हैं। कर्कोटक काल सर्प दोष के असर, उपाय और निवारण 14 Mar 2024 — लाल किताब में कर्कोटक काल सर्प दोष के उपाय यदि किसी व्यक्ति की काल सर्प योग कुंडली में पहले घर में राहु और सातवें घर में केतु है
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 11 April, 2025
हिंदू धर्म में भगवान भैरव को विनाश के देवता भगवान शिव का एक उग्र रूप माना जाता है। भगवान विक्रांत भैरव स्कंद पुराण में वर्णित आठ प्रमुख भैरवों में से एक हैं, जो पवित्र शहर उज्जैन में निवास करते हैं। इन आठ रूपों में विक्रांत भैरव का महत्वपूर्ण स्थान है। विक्रांत भैरव के मंदिर की चर्चा स्कंद पुराण में भी की गई है।
यह माना जाता है कि विक्रांत भैरव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उन्हें चमत्कारी अनुभव देते हैं। विक्रांत भैरव का मंदिर एक श्मशान भूमि पर स्थित है, जो इसे एक विशेष और शक्तिशाली स्थान बनाता है। कई साधकों और तंत्रिकाओं को विक्रांत भैरव के मंदिर में तंत्र साधना करने के लिए जाना जाता है, और वे मानते हैं कि यहां उन्हें सिद्धि प्राप्त होती है। विक्रांत भैरव का मंदिर एक श्मशान भूमि पर स्थित है, जो इसे एक विशेष और शक्तिशाली स्थान बनाता है।