Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 11 April, 2025
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 फरवरी 2025 को सुबह 09:58 बजे शुरू होगी और 21 फरवरी को सुबह 11:57 बजे समाप्त होगी। भगवान काल भैरव की पूजा रात में करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस आधार पर, मासिक कालाष्टमी व्रत 20 फरवरी को रखा जायेगा। पूजा के लिए उत्तम समय रात 12:09 बजे से मध्यरात्रि 12:00 बजे तक रहेगा।
कालाष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ योग इस वर्ष की कालाष्टमी विशेष शुभ योगों का संयोग लेकर आ रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शिववास का विशेष संयोग बन रहा है। इन योगों में भगवान काल भैरव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान काल भैरव की आराधना करने से दोगुना फल मिलता है। इस दिन विशाखा और अनुराधा नक्षत्र भी रहेंगे, जिससे कालाष्टमी व्रत का महत्व और बढ़ जाएगा। यदि किसी का कोई काम लंबे समय से रुका हुआ है, तो इस दिन पूजा करने से सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 11 April, 2025
Ravi Pushya Yoga 2025: रवि पुष्य योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए कार्यों का फल कई गुना अधिक मिलता है। रवि पुष्य योग में किए गए दान, स्नान, पूजा-पाठ और जप-तप का विशेष महत्व होता है। रवि पुष्य योग निश्चित रूप से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता लाएगा। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं और इसमें 8वें स्थान पर आने वाला नक्षत्र पुष्य नक्षत्र होता है, जिसे एक शुभ नक्षत्र माना जाता है। रवि पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। यदि किसी कुंडली में ग्रह और नक्षत्रों की विपरीत स्थिति बन रही है तो पुष्य नक्षत्र में वह भी अनुकूल हो जाती है। पुष्य नक्षत्र यदि रविवार को होता है तो इसे रवि पुष्य नक्षत्र कहा जाता है, जो काफी शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि यह ज्योतिषीय घटना सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद लाती है। इसे नए बिजनेस शुरू करने, महत्वपूर्ण निर्णय लेने और आध्यात्मिक विकास की खोज के लिए एक जरुरी समय माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में रवि पुष्य का योग तीन बार बनेगा और इस क्रमसः पहला 9 मार्च, दूसरा 6 अप्रैल, तीसरा 4 मई और चौथा 8 दिसंबर 2025 को है। ये योग रविवार को पुष्य नक्षत्र का संजोग बहुत ही शुभ होता है तथा इस मुहूर्त गोल्ड, सिल्वर, भूमि, स्वर्ण आभूषण सहित सभी प्रकार की खरीदारी बहुत ही शुभ लाभकारी होती है।
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 11 April, 2025
भगवान परशुराम सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. साथ ही परशुराम ऐसे देवता है जिन्हें चिरंजीवी का आशीर्वाद प्राप्त है. माना जाता है कि आज भी पृथ्वी पर भगवान परशुराम मौजूद हैं और कलयुग के अंत तक रहेंगे. भगवान शिव से इन्हें चिरंजीवी का वरदान प्राप्त हुआ. हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है. इस साल 2025 में तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 पर होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 तक रहेगी. वैसे तो हिंदू धर्म के अधिकतर पर्व-त्योहार उदयातिथि के अनुसार मनाए जाते हैं, लेकिन भगवान परशुराम का अवतार प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए मंगलवार 29 अप्रैल 2025 को ही परशुराम जयंती मनाई जाएगी.
एक बार परशुराम और सहस्त्रार्जुन का युद्ध हुआ. सहस्त्रार्जुन को महिष्ती सम्राट होने का बहुत घमंड था. वह धर्म की सभी सीमाओं का लांघ चुका था. धार्मिक ग्रंथ, वेद-पुराण और ब्राह्मणों का अपमान करता है, ऋषियों के आश्रम को नष्ट करता था. परशुराम अपने परशु (अस्त्र) को लेकर सहस्त्रार्जुन के नगर महिष्मतिपुरी पहुंचे. यहां सहस्त्रार्जुन और परशुराम के बीच युद्ध हुआ, जिसमें परशुराम के प्रचंड बल के आगे सहस्त्रार्जुन की हार हुई. परशुराम ने सहस्त्रार्जुन की हजारों भुजाएं और धड़ अपने परशु से काटकर कर अलग कर दिया.यह देखकर परशुराम को बहुत क्रोध आ गया और उसी समय उन्होंने शपथ ली कि हैहय वंश का सर्वनाश कर देंगे और साथ ही उसके सहयोगी क्षत्रियों का भी 21 बार संहार कर भूमि को क्षत्रिय विहिन कर देंगे. पुराणों के अनुसार परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर अपने संकल्प को पूरा किया था.